Ramhedabad harsit chaudhary case:-शाहबाज ने मेजर हर्षित बन 128 लड़कियों को फांसाया फिर की दरिंदगी |
यह कहानी 2 सितंबर 2024 को अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर शुरू होती है। सीसीटीवी कैमरों में एक व्यक्ति नीले सूटकेस के साथ नजर आता है। पुलिस को इस व्यक्ति पर लैपटॉप चोरी करने का शक था। लेकिन वे यह अंदाजा नहीं लगा सके थे कि यह मामूली दिखने वाला चोर असल में एक बड़ा अपराधी है। उस दिन तक उसके अपराधों की दुनिया को कोई खबर नहीं थी। यह सब तब शुरू हुआ जब वंदे भारत एक्सप्रेस में सफर कर रहे एक यात्री ने अपने लैपटॉप की चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेन में चोरी करना कोई आसान काम नहीं होता, क्योंकि ट्रेन के हर कोच में फिश आई कैमरे लगे होते हैं, जो वाइड एंगल में हर गतिविधि को रिकॉर्ड करते हैं। इस ट्रेन में सामान्य ट्रेनों की तरह भीड़ नहीं होती है, बल्कि केवल वही लोग होते हैं जिनकी सीटें आरक्षित होती हैं। इसी वजह से वेस्टर्न रेलवे पुलिस ने शिकायत मिलने पर सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू की। इस इन्वेस्टिगेशन को वेस्टर्न रेलवे के एसपी बलराम मीना जी लीड कर रहे थे।
जांच के दौरान फुटेज में एक व्यक्ति नजर आया, जो चोरी हुई सीट के आसपास घूम रहा था। वह व्यक्ति लगभग 30 से 40 साल का लग रहा था। जब रिकॉर्डिंग को ध्यान से देखा गया, तो पता चला कि वह संदिग्ध व्यक्ति किस सीट पर बैठा था। उस सीट की आरक्षण सूची चेक की गई और नाम निकला “हर्षित चौधरी”। यह व्यक्ति ट्रेन से उतरकर स्टेशन से बाहर जाते हुए भी सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गया था। चूंकि उसने आधार कार्ड का उपयोग करके रिजर्वेशन किया था, पुलिस को उसके संपर्क विवरण भी मिल गए थे।
पुलिस ने जब हर्षित चौधरी को कॉल किया, तो उसने तुरंत स्वीकार किया कि गलती से लैपटॉप उसके पास आ गया और वह उसे वापस लौटाने आ रहा है। लेकिन यहां से एक नई कहानी की शुरुआत हुई। जब वह व्यक्ति लैपटॉप लौटाने पुलिस स्टेशन आया, तो पुलिस ने उससे कुछ सामान्य सवाल किए। उसने सोचा कि उसने पहले ही स्वीकार कर लिया है कि लैपटॉप गलती से उसके पास आ गया था, तो पुलिस उसे आसानी से जाने देगी। लेकिन पुलिस को कुछ संदेह हुआ और सवालों का सिलसिला जारी रखा गया।
एसपी बलराम मीना जी की जांच में यह बात सामने आई कि “हर्षित चौधरी” नाम का यह व्यक्ति असल में मेजर हर्षित चौधरी नहीं था। उसने आर्मी ऑफिसर होने का झूठ बोला था, और पुलिस को उसकी बातों पर शक हो गया था। पुलिस ने जब उसकी पहचान की जांच की, तो पाया कि मेजर हर्षित चौधरी नाम का कोई व्यक्ति आर्मी में नहीं था। यह बात पुलिस के लिए चौंकाने वाली थी, क्योंकि यह व्यक्ति खुद को एक आर्मी अधिकारी बताकर घूम रहा था और बड़े-बड़े झूठ बोल रहा था।
जब इस व्यक्ति को और ज्यादा जांचा गया, तो पता चला कि उसका असली नाम “शहबाज अली” था। शहबाज अली अलीगढ़ के जमालपुर का रहने वाला था और पहले भारतीय सेना में सिपाही था। उसे खराब सर्विस रिकॉर्ड और अनुशासनहीनता के कारण आर्मी से निकाल दिया गया था। उसके पिता मुश्ताक खान भी आर्मी से रिटायर हुए थे और उसका एक भाई एयरफोर्स में था।
पुलिस के लिए यह केस अब सिर्फ एक लैपटॉप चोरी का मामला नहीं रहा। यह मामला देश की सुरक्षा से जुड़ गया था। क्योंकि शहबाज ने एक आर्मी अधिकारी का रूप धारण कर रखा था, यह सवाल उठने लगे कि उसने और कहां-कहां अनाधिकृत रूप से एक्सेस किया होगा। पुलिस ने सख्त पूछताछ शुरू की, और शहबाज ने आखिरकार सच कबूल कर लिया।
शहबाज अली ने न सिर्फ फर्जी पहचान का उपयोग किया था, बल्कि उसने शादी डॉट कॉम पर भी खुद को “मेजर हर्षित चौधरी” के रूप में पेश किया था। उसने वहां अपनी प्रोफाइल में कई महिलाओं को आकर्षित करने के लिए आर्मी की यूनिफॉर्म में तस्वीरें डाली थीं। उसने 128 महिलाओं से संपर्क करने की कोशिश की थी, जिसमें से 30-40 महिलाएं उसके नियमित संपर्क में थीं, और 20-25 महिलाओं के साथ तो उसने शारीरिक संबंध भी बनाए थे।
उसके फोन में 25 महिलाओं के नंबर और तस्वीरें मिलीं। शहबाज ने इन महिलाओं से अपनी असली पहचान छुपाकर उन्हें धोखा दिया और शादी का झांसा देकर उनसे पैसे ठगे। वह उन महिलाओं को निशाना बनाता था, जो नौकरी करने वाली होती थीं, ताकि वे उसे आर्थिक रूप से मदद कर सकें।
शहबाज ने अलीगढ़ में एक फर्जी आधार कार्ड के जरिए बैंक अकाउंट भी खुलवाया था, जिसमें उसने 7 से 8 लाख रुपये जमा किए थे। इन पैसों का इस्तेमाल वह अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए करता था। पुलिस ने यह भी पता लगाया कि उसके शिकार में अधिकतर महिलाएं हिंदू धर्म से थीं।
शहबाज की असली पहचान उजागर होने के बाद पुलिस ने उसकी तलाशी ली और अहमदाबाद पुलिस भी इस जांच में शामिल हो गई। पुलिस ने शहबाज का मोबाइल जब्त कर लिया और उसके आधार और पैन कार्ड की जांच शुरू कर दी। इसी दौरान उसके मोबाइल पर एक कॉल आई, जो उसकी पत्नी का था। पुलिस ने जब कॉल रिसीव किया, तो उसकी पत्नी को यह पता चला कि उसका पति असल में कोई आर्मी मेजर नहीं है, बल्कि वह शहबाज अली नाम का व्यक्ति है, जो लैपटॉप चोरी के मामले में पकड़ा गया है।
यह सुनकर उसकी पत्नी के होश उड़ गए। उसने पुलिस को बताया कि शहबाज से उसकी शादी अप्रैल 2023 में अलीगढ़ के एक मंदिर में हुई थी। शहबाज ने शादी डॉट कॉम पर खुद को मेजर हर्षित चौधरी बताया था, और यही पहचान बनाकर उसने इस महिला से शादी की थी।
शहबाज की पत्नी ने यह भी खुलासा किया कि शादी के बाद शहबाज उसे बार-बार छोड़कर गायब हो जाता था, और जब वह लौटता, तो उसके साथ दुर्व्यवहार करता था। उसने उसकी पत्नी के साथ जबरदस्ती संबंध बनाए और उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। उसकी पत्नी ने अलीगढ़ के बन्ना देवी पुलिस स्टेशन में शहबाज के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
शहबाज की इस घिनौनी सच्चाई के सामने आने के बाद पुलिस ने शहबाज के खिलाफ और भी गहराई से जांच शुरू की। शादी डॉट कॉम से उसकी प्रोफाइल की सारी डिटेल्स निकाली गईं और यह पाया गया कि वह इस वेबसाइट का इस्तेमाल अपने शिकार को ढूंढने के लिए करता था।
इस कहानी का एक और अहम मोड़ तब आया, जब पुलिस ने पाया कि शहबाज ने फर्जी आधार कार्ड से एक और पहचान बनाई थी। उसने भरतपुर के एक व्यक्ति हर्षित जादौन के आधार कार्ड की फोटो कॉपी का इस्तेमाल कर अपना फर्जी आधार कार्ड बनवाया था। पुलिस ने शहबाज के खिलाफ कई राज्यों में जांच शुरू की और उसके बाकी कारनामों का पता लगाने के लिए पांच टीमों को राजस्थान, दिल्ली, जम्मू कश्मीर और यूपी भेजा।
शहबाज अली तो अब जेल में है, लेकिन इस केस ने यह साबित कर दिया है कि ऐसे कई धोखेबाज आज भी समाज में खुलेआम घूम रहे हैं।
इस कहानी से एक सीख मिलती है कि रिश्तों में सतर्क रहना जरूरी है। चाहे आप ऑनलाइन रिश्ते बना रहे हों या किसी नए व्यक्ति से मिल रहे हों, आपको उसके इरादों और व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए।
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