सुनीता-उपाध्याय-शोषण-केस | सुनीता का शोषण और हत्या की खौफनाक कहानी | पुलिस अधिकारी की हवस का शिकार बनी महिला दरोगा –
दोस्तों एक महिला दारोगा रात को सोई तो थी लेकिन सुबह जब वह उठी तो उसे कुछ अजीब महसूस हुआ जब उसने अपने बदन पर हाथ फेरा तो वह चौक गई क्योंकि उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था वह पूरी तरह से निर्वस्त्र अवस्था में बिस्तर पर पड़ी हुई थी उसकी नजर जब साइड में चल रहे टीवी पर गई तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई टीवी पर उसी का वीडियो चल रहा था
जिसमें वह पूरी तरह से नग्न थी और कोई व्यक्ति उसके साथ संबंध बना रहा था तभी रूम का दरवाजा खुलता है और एक व्यक्ति अंदर प्रवेश करता है जब वह महिला दारोगा उस व्यक्ति को देखती है तो वह शॉक्ड रह जाती है दोस्तों आखिर कौन था वह व्यक्ति और क्या हुआ था उस महिला दारोगा के साथ एक दिल को दहला देने वाली और मन को झक छोड़ देने वाली एक सच्ची घटना लेकर आज मैं आपके सामने हाजिर हुआ हूं
सुनीता-उपाध्याय-शोषण-केस
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे चैनल क्राइम स्टोरी किलर पर फिर से एक और सच्ची घटना के साथ अगर आपने चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो अभी सब्सक्राइब कर लीजिए और बेल आइकॉन को प्रेस करना ना भूलें वीडियो को अभी से लाइक करें और बताएं कि आप यह कहानी किस जगह से देख रहे हैं आइए चलते हैं कहानी पर उत्तर प्रदेश का एक शहर लखनऊ दोस्तों लखनऊ के पुलिस मुख्यालय में तैनात एक महिला दारोगा जिसका नाम था सुनीता उपाध्याय
वहां पर 2 सालों से नौकरी कर रही थी परिवार में उसका एक पति था और एक 7 साल का बेटा पति सरकारी नौकरी में ग्राम सेवक के पद पर तैनात था और उसकी नौकरी लखनऊ से 100 किमी दूर थी इसलिए वह अपने बेटे के साथ वहीं रहता था और सुनीता पुलिस मुख्यालय लख लखनऊ में ही रहती थी जहां उसे एक क्वार्टर अलॉट किया गया था बात 20 जनवरी 2016 की है जब पुलिस स्टेशन में वायरलेस पर हुड दंग की खबर आती है तुरंत पुलिस दल रवाना होता है जिसमें सुनीता उपाध्याय भी शामिल होती है वहां पहुंचने पर स्थिति ऐसी बन जाती है कि लाठी चार्ज करना पड़ता है
इस लाठी चार्ज के दौरान कई लोग घायल हो जाते हैं और इलाज के दौरान दो लोगों की मृत्यु हो जाती है मामला मीडिया में आते ही बड़ा हो जाता है और जो पुलिस वाले वहां ड्यूटी पर थे उन्हें लाइन हाजिर कर दिया जाता है इसमें सुनीता उपाध्याय भी शामिल थी लाइन हाजिर होने के बाद सभी पर इंक्वायरी बैठाई जाती है सुनीता उपाध्याय इस स्थिति से बहुत डर जाती है उसे अपनी नौकरी जाने का डर सताने लगता है उसी की मदद के लिए वह अपने थाना इंचार्ज कुलदीप यादव के पास जाती है
कुलदीप यादव उसे आश्वासन देता है कि वह उसकी नौकरी को सुरक्षित रखेगा 3 फरवरी की शाम को कुलदीप यादव सुनीता को फोन करता है और कहता है कि उसके केस के सिलसिले में कुछ चर्चा करनी है वह उसे अपने क्वार्टर पर बुलाता है सुनीता तुरंत राजी हो जाती है और आधे घंटे के अंदर वहां पहुंच जाती है जब वह कुलदीप यादव के क्वार्टर पर पहुंचती है और दरवाजा खटखटा है तो अंदर से आवाज आती है हां खुला है अंदर आ जाओ सुनीता अंदर जाती है और देखती है कि कुलदीप यादव ड्राइंग रूम में बैठा शराब पी रहा होता है
मेज पर शराब की बोतल और दो गिलास रखे हुए थे यह देखकर सुनीता थोड़ी असहज हो जाती है लेकिन कुलदीप उसे कहता है कि यहां कोई फॉर्मेलिटी की जरूरत नहीं है वह उसे बैठने के लिए कहता है सुनीता सोफे पर बैठ जाती है और पूछती है कि कैसे बुलाना हुआ कुलदीप कहता है कि उसने ऊपर बात कर ली है और उसे टेंशन लेने की जरूरत नहीं है उसकी नौकरी सुरक्षित रहेगी सुनीता उसे धन्यवाद कहती है इसी दौरान कुलदीप उसके लिए भी गिलास में शराब डालकर उसे देने की पेशकश करता है
सुनीता-उपाध्याय-शोषण-केस
सुनीता संकोच करती है लेकिन कुलदीप उस पर जोर डालता है पुलिस महकमे में लोग शराब पीते ही हैं यह जानकर सुनीता मजबूर हो जाती है और शराब पीने के लिए तैयार हो जाती है पैग लेते हुए सुनीता और कुलदीप के बीच बातचीत होती है कुलदीप उसे फ्रैंक होने की कोशिश करता है और पूछता है कि उसके परिवार में कौन-कौन है और वे क्या करते हैं सुनीता बताती है कि उसका परिवार लखनऊ से 100 किमी दूर रहता है कुलदीप भी बताता है कि उसका परिवार कानपुर में रहता है
और वह यहां अकेला ही रहता है इस प्रकार बातचीत का द्वार शुरू होता है सुनीता अब तक तीन पैग शराब पी चुकी थी और नशे में आ चुकी थी इसी मौके का फायदा उठाकर कुलदीप अपनी जगह से उठता है और सुनीता के करीब जाकर बैठ जाता है सुनीता थोड़ी सी सकुचा जाती है कुलदीप उसके कंधों पर हाथ रखता है और सहलाने लगता है सुनीता को समझ नहीं आता कि कैसे प्रतिक्रिया दे या कैसे मना करें क्योंकि वह मजबूरी में भी फंसी हुई थी
और शराब का नशा भी चढ़ा हुआ था पति से दूर रहने के कारण सुनीता के भी कदम हल्के हल्के बहकने लगे थे फिर भी वह कुलदीप को रोकने की कोशिश करती है लेकिन कुलदीप उस पर प्रेशर डालता चला जाता है कुलदीप उसे समझाता है कि यहां उनके अलावा कोई नहीं है और यह बात किसी को पता नहीं चलेगी धीरे-धीरे सुनीता भी उसके बातों में आ जाती है एक-एक कर और पैग चलते हैं और फिर कुलदीप यादव सुनीता को लेकर अपने बेडरूम में चला जाता है वहां उसे निर्वस्त्र कर खुद भी निर्वस्त्र होकर वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है
सुनीता इस समय पूरी तरह नशे में थी और बेहोशी में कुलदीप का साथ दे रही थी पूरी रात यह सिलसिला चलता रहता है और दोनों कब सो गए उन्हें पता भी नहीं चला सुबह जब सुनीता की आंख खुलती है तो अपने आप को निर्वस्त्र अवस्था में बेड पर पाती है उसे याद आने लगता है कि रात को क्या हुआ था उसे खुद पर बहुत पछतावा होता है कि उसने यह क्या कर डाला अगर वह होश में होती तो कभी ऐसा नहीं करती लेकिन असली झटका तो अब लगने वाला था सुनीता जब पलट कर देखती है तो दीवार पर लगी हुई एलआईडीएल रहा होता है जब वह वीडियो देखती है तो हैरान रह जाती है
वीडियो में वह खुद नजर आ रही थी और कुलदीप यादव उसके साथ संबंध बना रहा था उसने सब कुछ रिकॉर्ड कर लिया था तभी दरवाजा खुलता है और कुलदीप अंदर आता है सुनीता उसे आश्चर्य चकित नजरों से देखती है कुलदीप मुस्कुराता है सुनीता पूछती है सर यह सब क्या है एक तो आपने मेरे साथ इतना गलत किया जब मैं होश में नहीं थी आपने मेरा फायदा उठा लिया ऊपर से आपने मेरा वीडियो भी बना लिया और उसे टीवी पर चला रहे हैं कुलदीप कहता है जस्ट कूल यार टेंशन क्यों लेती हो यह तो बस मैंने इसीलिए बनाया था
ताकि जब मन करे देख सकूं और एंजॉय कर सकूं सुनीता को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी क्योंकि कुलदीप उसका बॉस था और उसकी नौक खतरे में थी साथ ही उसका वीडियो कुलदीप के फोन में था सुनीता वहां से निकल जाती है इस सिलसिले की शुरुआत के बाद कुलदीप यादव लगातार सुनीता का शोषण करने लगा वह बार-बार उसे अपने क्वार्टर पर बुलाता और ना चाहते हुए भी सुनीता को मजबूरन आना पड़ता अब महीने में करीब 20 दिन सुनीता अपनी रातें कुलदीप यादव के क्वार्टर पर बिताने लगी थी कुलदीप उसका जमकर शोषण कर रहा था
एक रात जब सुनीता कुलदीप की बांहों में होती है और वह उसके साथ संबंध बना रहा होता है तो वह सुनीता से कहता है सुनीता मैंने तुम्हारे बारे में ऊपर के अधिकारी से बात कर ली है वे तुम्हारी फाइल क्लियर करने के लिए तैयार हैं लेकिन एक शर्त रखी है अगर तुम वह शर्त पूरी कर देती हो तो तुम्हारी नौकरी का खतरा टल जाएगा सुनीता पूछती है सर कितने पैसे देने होंगे कुलदीप हंसता है और कहता है पैसे तुम्हें पैसे देने की क्या जरूरत है सुनीता तुम्हारे पास तो ऐसा अनमोल खजाना है कि लोग खुद तुम्हें पैसे देंगे तुम्हें वही करना है
उन साहब के साथ भी जो हम दोनों अभी कर रहे हैं बस एक बार उन्हें खुश कर दो और तुम्हारा काम हो जाएगा सुनीता चिट जाती है और गुस्से में कहती है मैं ऐसा नहीं कर सकती कुलदीप गुस्से में कहता है ज्यादा नाटक मत कर तू जैसों को सीधा करना मुझे बहुत अच्छी तरह आता है चुपचाप कल शाम को 8:00 बजे साहब के बंगले पर पहुंच जाना अगर नहीं गई तो परसों तेरा सस्पेंशन लेटर तेरे टेबल पर होगा मजबूरी में सुनीता को अगली रात उस वरिष्ठ अधिकारी के साथ उसके बिस्तर में बितानी पड़ती है अब यह सिलसिला शुरू हो गया था कभी इस अधिकारी के साथ तो कभी उस अधिकारी के साथ |
कुलदीप यादव ने सुनीता को चार से पांच वरिष्ठ अधिकारियों के के साथ सोने के लिए मजबूर किया था इसके बावजूद एक दिन सुनीता का सस्पेंशन लेटर उसके टेबल पर था सुनीता को इस बात का गहरा धक्का लगा सुनीता गुस्से में कुलदीप यादव के केबिन में पहुंचती है और सस्पेंशन लेटर उसके टेबल पर फेंक कर चिल्लाने लगती है उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर थाने के लोग चौक जाते हैं और कान लगाकर सुनने की कोशिश करते हैं
सुनीता जोर-जोर से चिल्लाकर कुलदीप से कहती है तुमने मेरा शोषण किया मेरे साथ गलत किया और अब मैं सस्पेंड हो गई हूं मैं डीजीपी साहब के पास जाकर तुम्हारी और उन अधिकारियों की शिकायत करूंगी कुलदीप भी गुस्से में कहता है जा तुझे जो करना है कर ले तेरे पास सबूत क्या है उल्टा मेरे पास तेरे खिलाफ सबूत है याद है ना व वीडियो सुनीता गुस्से से पैर पटकती हुई वहां से निकल जाती है
थाने में सबको अब पता चल चुका था कि सुनीता और कुलदीप के बीच कुछ गलत चल रहा है सस्पेंशन के बाद सुनीता अपने पति के गांव चली जाती है दो दिन बाद कुलदीप यादव भी छुट्टी लेकर अपने गांव चला जाता है सुनीता को गए हुए पांच दिन ही हुए थे कि एक व्यक्ति थाने में आकर सुनीता के बारे में पूछताछ करता है वह सिपाही से पूछता है कि सुनीता जी कहां है सिपाही आश्चर्य से पूछता है आप कौन हैं वह व्यक्ति कहता है मैं उनका पति अजय उपाध्याय हूं सुनीता से चार दिन से मेरी बात नहीं हो रही है
सिपाही चौक जाता है और बताता है कि सुनीता मैडम सस्पेंड हो चुकी हैं और चार दिन पहले ही वह यहां से कह कर गई थी कि वह अपने पति के पास जा रही है अजय कहता है कि वह उसके पास नहीं आई है और उसका फोन भी बंद है मामला चिंताजनक था अजय उपाध्याय थाने के इंचार्ज सुरेंद्र कुलकर्णी से मिलता है और अपनी बात बताता है सुरेंद्र कुलकर्णी उसे एफआईआर दर्ज करने की सलाह देते हैं पुलिस सुनीता का फोन सर्विलांस पर डालती है और उसका आखिरी लोकेशन कानपुर देहात में मिलता है
वहां पहुंचकर पुलिस को कुछ नहीं मिलता दो दिनों बाद एक सरोवर से पुलिस को एक महिला की लाश मिलती है अजय उसे पहचान लेता है कि वह सुनीता उपाध्याय ही है अब सवाल यह था कि सुनीता वहां कैसे पहुंची पुलिस जांच में सुनीता के कॉल डिटेल्स नि ले जाते हैं उसके फोन पर आखिरी कॉल एक पीसीओ से आया था जो कानपुर देहात में था पुलिस पीसीओ पर पहुंचती है लेकिन वहां से कोई सुराग नहीं मिलता अजय परेशान था कि उसकी पत्नी वहां कैसे पहुंची और उसने आत्महत्या क्यों की पुलिस इस केस को आत्महत्या के एंगल से देख रही थी
अजय बार-बार थाने आता था और एक महिला सिपाही उससे कहती है कि उसे कुछ जरूरी बात करनी है बाहर ले जाकर वह कहती है कि उसे शक है कि सुनीता की हत्या हुई है यह सुनकर अजय चौक जाता है और कहता है यह आप क्या कह रही हैं तब वह महिला सिपाही पूरा वाकया बताती है जो उस दिन पुलिस स्टेशन में घटित हुआ था जब सुनीता कुलदीप यादव के चेंबर में गई थी और वहां दोनों की बहस और लड़ाई हुई थी अजय के भी दिमाग की घंटी बजने लगती है और वह सोचता है कि जरूर सुनीता के साथ कुछ गलत हुआ है
और इसमें कुलदीप यादव का हाथ है अजय थाने में कुलदीप यादव के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराना चाहता है कि उसकी पत्नी की हत्या हुई है और हत्या के पीछे कुलदीप यादव का हाथ है कुलदीप यादव एक थानेदार था और उसका प्रभाव और ऊपर तक पकड़ थी इसलिए पुलिस एफआईआर लिखने में आनाकानी कर रही थी जब थाने में कोई मदद नहीं मिली तो अजय जो खुद भी एक सरकारी कर्मचारी था और कानूनी दाम पेच जानता था मीडिया में जाता है मीडिया में मामला जाते ही वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान इस पर जाता है और तुरंत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया जाता है
पुलिस जांच में सुनीता के कॉल डिटेल्स निकाले जाते हैं और सुनीता के फोन पर आखिरी कॉल एक पीसीओ से आया था उस पीसी की सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाती है और फुटेज में कुलदीप यादव साफ नजर आता है जो वहां फोन कर रहा था टाइमिंग भी मिल जाती है और यह वही समय था जब सुनीता के फोन पर आखिरी कॉल आया था पुलिस की शक की सुई पूरी तरह से कुलदीप यादव पर घूम जाती है कुलदीप यादव छुट्टी पर अपने गांव में था पुलिस का एक दल उसे गिरफ्तार करने के लिए रवाना होता है और उसे गिरफ्तार कर थाने लाया जाता है
पूछताछ के दौरान कुलदीप यादव पहले तो पुलिस को घुमाने की कोशिश करता है लेकिन अंततः टूट जाता है और सच्चाई बताता है कुलदीप यादव बताता है कि सुनीता ने उसे फोन कर बताया था कि वह प्रेग्नेंट है और उसके बच्चे की मां बनने वाली है सुनीता ने कहा था कि अगर उसे नौकरी वापस नहीं मिली तो वह कुलदीप और अन्य चार अधिकारियों को फंसा देगी यह सुनकर कुलदीप सख्ते में आ गया और सुनीता से प्यार से बात करने लगा कुलदीप ने सुनीता को विश्वास दिलाया कि वह सब कुछ ठीक कर देगा और उसे कानपुर देहात के एक इलाके में बुलाया उसने सुनीता को पीसीयू से फोन किया
ताकि उसका खुद का नंबर ना दिखे वहां पहुंचकर कुलदीप ने सुनीता को कार में बिठाया और सरोवर के किनारे ले गया वहां बहस के दौरान कुलदीप ने सुनीता का गला दबाकर हत्या कर दी और लाश को सरोवर में फेंक दिया कुलदीप यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 76 और 302 के तहत केस दर्ज किया जाता है और उसे न्यायालय के सामने पेश किया जाता है कुलदीप यादव को जेल भेज दिया जाता है लेकिन मामला अभी भी कोर्ट में लंबित है और सुनीता को अभी तक न्याय नहीं मिला है
हम न्यायालय से यही गुजारिश करेंगे कि सुनीता को जल्द से जल्द न्याय मिले और ऐसा न्याय मिले कि ऐसे दरिंदे 100 बार सोचे ऐसा गुनाह करने से पहले तो दोस्तों यह थी आज की कहानी अगर सुनीता ने पहले दिन ही कुलदीप यादव के खिलाफ कदम उठाया होता जब पहली बार उसने उसके साथ दरिंदगी की थी तो शायद आज उसे अपनी जान ना गंवानी पड़ती और वह अपने परिवार के साथ होती आपका क्या मानना है कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं मिलते हैं अगली कहानी के साथ जय हिंद|
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