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  Real story : “मुखिया की बेटी और चरवाहे के बीच 11 दिन की कहानी # बिना_कपडे_के- सच क्या है?”

  Real story : "मुखिया की बेटी और चरवाहे के बीच 11 दिन की कहानी # बिना_कपडे_के- सच क्या है?"

  Real story : “मुखिया की बेटी और चरवाहे के बीच 11 दिन की कहानी # बिना_कपडे_के- सच क्या है?”

इस कहानी की शुरुआत एक मुखिया की बेटी संगीता से होती है, जो अपने जीवन से हताश होकर आत्महत्या करने का निर्णय लेती है। वह एक रात नदी में कूद जाती है, लेकिन उसका जीवन बच जाता है जब एक गरीब चरवाहा लड़का राजू उसे देख लेता है और बचा लेता है। यह कहानी बिहार के ग्रामीण पृष्ठभूमि में बसी है, जिसमें गरीबी, सामाजिक अंतर और प्रेम जैसे भावनाओं को दर्शाया गया है।

जब संगीता नदी में कूदती है, वह पानी में बहते हुए एक छोटे जंगल के किनारे तक पहुंच जाती है। अंधेरा हो चुका था, और रात का समय था। जैसे ही वह नदी के किनारे पहुंचती है, उसे एक गरीब चरवाहा राजू मिलता है, जो वहां अपनी गाय और भैंसों के साथ रहता है। राजू उस वक्त अपनी गायों के लिए पानी भर रहा था,

और उसी समय उसने देखा कि नदी किनारे कोई लड़की बहती आ रही है। वह तुरंत टॉर्च की रोशनी से देखता है और समझ जाता है कि किसी की जान खतरे में है। राजू जल्दी से जाकर संगीता को नदी से बाहर खींचता है और उसकी जान बचाता है।

संगीता पूरी तरह से थक चुकी थी, और उसके शरीर में ताकत नहीं बची थी। पानी में डूबने की वजह से उसके पेट में भी पानी भर गया था। राजू ने तुरंत उसकी मदद की, उसे उल्टा कर के उसके पेट का पानी निकालने की कोशिश की। कुछ समय बाद संगीता होश में आ जाती है,

लेकिन बहुत कमजोर महसूस करती है। राजू उसे अपनी छोटी सी झोपड़ी में ले जाता है, जो उसके गाय और भैंस रखने की जगह के पास ही थी। वह उसे अपने कपड़े पहनने को देता है, क्योंकि संगीता के कपड़े पूरी तरह भीग चुके थे और वह कांप रही थी।

राजू एक साधारण ग्रामीण लड़का था, जिसने ज्यादा पढ़ाई नहीं की थी, लेकिन वह दिल का बहुत अच्छा था। उसने संगीता से कुछ भी पूछे बिना उसकी मदद की और उसे आग के पास बैठने दिया ताकि वह गर्मी ले सके और आराम कर सके। संगीता उसकी झोपड़ी में बैठी हुई थी,

और राजू उसके लिए खाना बना रहा था। संगीता भूखी थी, और उसने खाना खाया। राजू की नजरों में, संगीता कोई साधारण लड़की नहीं थी, वह एक अच्छे घर से लगती थी, लेकिन वह अब भी उसकी मदद कर रहा था, बिना किसी अपेक्षा के।

रात बीत जाती है, और सुबह होते ही राजू संगीता को वहां से जाने के लिए कहता है। वह उसे समझाता है कि अगर गांव के लोग देख लेंगे कि वह उसके साथ रात भर रुकी थी, तो लोग गलत बातें करेंगे। लेकिन संगीता कहती है कि उसे कहीं नहीं जाना है।

वह अब अपने जीवन से भागने का इरादा नहीं रखती। वह वहीं रुकने का फैसला करती है और कहती है कि उसे कोई ठिकाना नहीं है, जहां वह वापस जा सके। राजू इस स्थिति से थोड़ा असमंजस में था, क्योंकि वह नहीं जानता था कि अब क्या करना है।

वह संगीता को फिर से अपनी झोपड़ी में सुरक्षित रखता है और खुद बाहर सो जाता है। वह सोचता है कि अगर कोई गांव का व्यक्ति उसे देख लेगा, तो उसकी भी बदनामी हो जाएगी। संगीता का ठहरने का निर्णय उसे उलझन में डाल देता है,

लेकिन फिर भी वह उसकी देखभाल करने का जिम्मा उठाता है। वह घर से खाना लाता है और संगीता को खिलाता है। धीरे-धीरे संगीता राजू पर भरोसा करने लगती है और उसे अपनी पूरी कहानी सुनाती है।

संगीता, मुखिया की बेटी, एक प्रतिष्ठित परिवार से थी। लेकिन उसकी जिंदगी में एक उलझन थी। वह अपने गांव के ही एक लड़के से प्रेम कर बैठी थी, जो उनके प्रतिद्वंदी परिवार से था। दोनों का प्यार पटना में पढ़ाई के दौरान हुआ था।

लेकिन गांव में उनके परिवारों के बीच कड़ा प्रतिद्वंद्व था। संगीता और उसका प्रेमी जब गांव वापस आए, तो उनके रिश्ते को लेकर तनाव बढ़ने लगा। संगीता के पिता, जो मुखिया थे, इस रिश्ते को मंजूर नहीं कर पाए,और जब मनीष अपने पिता को संगीता के साथ अपने रिश्ते के बारे में बताता है।

मनीष के पिता उसे समझाते हैं कि इस तरह का रिश्ता उनके लिए समस्या बन सकता है। मनीष के पिता कहते हैं कि अगर वे इस रिश्ते को आगे बढ़ाते हैं, तो लोग सोचेंगे कि यह किसी बदले की भावना से किया गया है। मनीष को यह सलाह दी जाती है कि वह इस रिश्ते को भूल जाए क्योंकि जिंदगी में प्यार करने के लिए और भी लड़कियां हैं, लेकिन ज़िंदगी सिर्फ एक बार मिलती है।

मनीष को समझ में आता है कि हालात मुश्किल हैं, और वह संगीता से मिलने जाता है। और संगीता और मनीष इस बात को लेकर परेशान होते हैं कि वे साथ नहीं रह सकते। इसके बाद दोनों एक साथ मरने का फैसला करते हैं। वे तय करते हैं कि वे एक पुल से कूदकर अपनी जान दे देंगे।

समय तय होता है, और दोनों शाम के वक्त पुल पर पहुँचते हैं। मनीष ने ‘वन टू थ्री’ की गिनती गिननी शुरू की, लेकिन जब संगीता पुल से कूदने के लिए झुकी, तो मनीष रुक गया। संगीता कूद चुकी थी, लेकिन मनीष कूदने की हिम्मत नहीं कर पाया |

राजू उसकी पूरी बात सुनकर चुपचाप बैठा रहा। उसने संगीता को कोई सलाह नहीं दी, लेकिन उसने उसकी मदद की। वह जानता था कि अगर संगीता गांव वापस जाती है, तो उसका जीवन और भी कठिन हो सकता है। लेकिन संगीता अब कुछ समय के लिए गांव से दूर रहना चाहती थी, और वह राजू के साथ ही रहना चाहती थी। राजू ने उसे वहां रुकने दिया, लेकिन उसकी सुरक्षा का भी ध्यान रखा।

दिन बीतते गए, और धीरे-धीरे संगीता और राजू के बीच एक अनकहा रिश्ता बनने लगा। राजू संगीता के प्रति कोई अनुचित भावनाएं नहीं रखता था, वह बस उसकी मदद करना चाहता था। वहीं संगीता को भी राजू की ईमानदारी और उसके स्वभाव की सराहना होने लगी।

संगीता का जीवन, जो एक समय में निराशा से भरा हुआ था, अब धीरे-धीरे बदलने लगा। वह अपने पुराने जीवन से दूर, राजू के साथ इस छोटे से झोपड़ी में एक नई शुरुआत की उम्मीद करने लगी। दोनों के बीच कोई शब्द नहीं बोले गए, लेकिन उनके बीच एक गहरा समझ और भरोसा पैदा हो गया था।

कहानी यहां तक तो एक साधारण सी घटना लगती है, लेकिन इसके बाद जो होता है, वह बहुत चौंकाने वाला है। संगीता के गांव से लोगों को उसकी गुमशुदगी की खबर मिल जाती है, और वे उसकी तलाश में जुट जाते हैं। जब संगीता और राजू के बारे में गांव वालों को पता चलता है,

उनके इस संबंध की भनक गाँव वालों को लग जाती है, और गाँव में यह बात फैल जाती है कि राजू ने एक लड़की को अपने घर में छुपा रखा है। गाँव के लोग इकट्ठे हो जाते हैं, और मुखिया जी, जो संगीता के पिता हैं,

इस बारे में जान जाते हैं। जब मुखिया जी को यह पता चलता है कि उनकी बेटी राजू के साथ है, तो उनका गुस्सा फूट पड़ता है। वे राजू को पीटने लगते हैं, लेकिन संगीता बीच में आकर अपने पिता को रोकने की कोशिश करती है।

संगीता अपने पिता पर रिवॉल्वर तान देती है और धमकी देती है कि अगर उन्होंने राजू को नहीं छोड़ा तो वह खुद को मार डालेगी। यह देखकर मुखिया जी राजू को छोड़ देते हैं, और संगीता राजू के साथ वहाँ से चली जाती है।

यह घटना गाँव में एक तमाशा बन जाती है, और लोग अलग-अलग बातें करने लगते हैं। मुखिया जी को अपनी बेटी की हरकतों से गहरा आघात लगता है, और वे सोचने लगते हैं कि जिस बदनामी से वे बचने की कोशिश कर रहे थे, वह अब हो चुकी है।

इस कहानी का अंत संगीता और राजू के साथ रहने के साथ होता है, लेकिन यह कहानी हमें यह सिखाती है कि प्रेम और जीवन में हर चीज़ उतनी सरल नहीं होती जितनी वह किताबों में या कहानियों में लगती है।

वास्तविकता में प्यार और जीवन के फैसले बहुत मुश्किल होते हैं, और कभी-कभी लोग उन फैसलों से पीछे हट जाते हैं। लोग कहते हैं कि वे प्यार के लिए जान दे देंगे, लेकिन जब वास्तव में ऐसा मौका आता है, तो 99 प्रतिशत लोग पीछे हट जाते हैं।

इस कहानी के माध्यम से हमें यह भी सिखने को मिलता है कि परिस्थितियाँ इंसान को अपने हिसाब से चलाती हैं। चाहे वह प्रेम हो या परिवार, हर किसी की अपनी सीमाएँ होती हैं। एक लड़की अपने पिता के लिए अपने प्रेमी को छोड़ सकती है, लेकिन कभी-कभी हालात ऐसे भी होते हैं जब वह अपने प्रेम के लिए सब कुछ छोड़ देती है।

कहानी का संदेश यह है कि हमें दूसरों के बारे में निर्णय लेने से पहले उनकी परिस्थितियों को समझना चाहिए। हर व्यक्ति परिस्थितियों का गुलाम होता है, और वह अपने जीवन के फैसले उसी के आधार पर लेता है।

इस कहानी में संगीता और राजू की प्रेम कहानी परिस्थितियों के उतार-चढ़ाव से गुजरती है, और अंत में उनका प्यार जीतता है, लेकिन इस प्यार की कीमत दोनों को अपने परिवार और समाज से लड़कर चुकानी पड़ती है।

अगर आपको इस कहानी से कुछ सीख मिली हो या आप अपनी राय साझा करना चाहते हैं, तो हमें कमेंट में जरूर बताइए। ऐसी और कहानियाँ सुनने के लिए हमारे page को  follow  और शेयर करें। जय हिंद, जय भारत!

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