अमेठी हत्याकांड: क्यों सुलह के बाद भी नहीं बच पाया पूरा परिवार?
अमेठी के एक छोटे से गांव में घटित यह हत्याकांड जिसने पूरे उत्तर प्रदेश को झकझोर कर रख दिया, आज एक चर्चा का विषय बना हुआ है। यह कोई साधारण मामला नहीं था; एक ऐसा दर्दनाक घटनाक्रम जिसने एक ही परिवार के चार मासूम लोगों की जिंदगी को खत्म कर दिया।
यह घटना इतनी भयावह थी कि सुनने वालों की रूह कांप गई। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस हत्याकांड के पीछे की कहानी क्या थी? और क्या ये सब कुछ रोका जा सकता था? आइए, जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी।
प्रारंभिक जानकारी
अमेठी जिले के शिवरतनगंज के पास स्थित एक छोटे से गांव में एक प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत सुनील भारती का पूरा परिवार एक दुखद घटना का शिकार हुआ।
सुनील दलित समुदाय से ताल्लुक रखते थे और मूलतः रायबरेली के रहने वाले थे। उनकी पत्नी पूनम और दो मासूम बच्चियों के साथ वे एक किराए के मकान में रहते थे। यह परिवार गांव में साधारण जीवन जी रहा था, लेकिन 3 अक्टूबर की शाम को जो हुआ, उसने सब कुछ बदल दिया।
गोलियों की आवाज़ ने तोड़ा सन्नाटा
घटना की शाम, लगभग 6:30 बजे, गांव के एक मेडिकल स्टोर संचालक राम मनोहर यादव ने गोलियों की आवाज़ सुनी। यह आवाज़ सुनील के घर से आ रही थी। राम मनोहर ने पहले फायरिंग की आवाज़ सुनी और जब वे सुनील के घर की ओर बढ़े, तो एक और राउंड फायरिंग की आवाज़ सुनाई दी।
जैसे ही वे वहां पहुंचे, उन्हें पुलिस के पास जाकर घटना की सूचना देनी पड़ी। पुलिस और राम मनोहर दौड़कर सुनील के घर पहुंचे। दरवाजा खोलते ही जो दृश्य उन्होंने देखा, वह दिल दहला देने वाला था। पूरा घर तहस-नहस पड़ा हुआ था और हर जगह गोलियों के खोखे बिखरे पड़े थे।
खौफनाक मंजर
घर के आंगन में सुनील और उनकी पत्नी पूनम की लाशें पड़ी थीं, और कुछ दूरी पर उनकी दोनों बेटियों के शव मिले। सभी के शरीर गोलियों से छलनी थे। यह दृश्य इतना भयानक था कि आस-पास के लोग सहम गए।
घटना के बाद पूरा गांव सदमे में था और हर कोई यही सोच रहा था कि आखिर इस परिवार ने ऐसा क्या किया था कि किसी ने उन्हें इस बर्बरता से मौत के घाट उतार दिया।
हत्याकांड की जांच
जैसे ही पुलिस ने घटना स्थल की जांच शुरू की, उन्हें वहां से नौ खोखे, एक जिंदा कारतूस और पिस्टल की एक खाली मैगजीन बरामद हुई। जांच में यह साफ हो गया कि हत्या करने वाला कोई जान पहचान का व्यक्ति था। घर में जबरदस्ती घुसने के कोई निशान नहीं मिले और ना ही किसी प्रकार की लूटपाट के संकेत थे।
पुलिस ने तुरंत इलाके के लोगों से पूछताछ की, लेकिन किसी ने किसी को घर में आते या जाते नहीं देखा था। गोलियों की आवाज़ तो सभी ने सुनी थी, लेकिन किसी ने किसी तरह का शोर या झगड़े की आवाज़ नहीं सुनी थी।
चंदन वर्मा: प्रमुख आरोपी
जांच के दौरान सुनील के परिवार ने पुलिस के सामने एक अहम बात रखी। उन्होंने बताया कि 18 अगस्त 2023 को सुनील ने रायबरेली जिले में चंदन वर्मा नाम के व्यक्ति के खिलाफ छेड़खानी, मारपीट, जान से मारने की धमकी और एससीएसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवाया था। सुनील ने तब पुलिस को बताया था कि उन्हें चंदन वर्मा से जान का खतरा है। लेकिन पुलिस ने दोनों पक्षों को बुलाकर सुलह करवा दी थी।
सुलह के बाद भी नहीं थमा विवाद
पुलिस द्वारा सुलह करवाए जाने के बाद भी चंदन का गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसने सुनील और उनके परिवार को परेशान करना जारी रखा। सुनील और पूनम के रिश्ते में भी तनाव बढ़ गया था। चंदन वर्मा ने इस पूरे विवाद को और बढ़ा दिया और सुनील को धमकियां देने लगा।
सुनील ने अपनी नौकरी को लेकर भी काफी परेशानियां झेली थीं, और अंततः उन्हें अमेठी में ट्रांसफर मिल गया था। लेकिन चंदन की हरकतें नहीं रुकीं। वह बार-बार सुनील और उनके परिवार को धमकाता रहा और उन्हें तंग करता रहा।
घटना का दिन
3 अक्टूबर की शाम, चंदन वर्मा अपनी बुलेट बाइक लेकर सुनील के घर पहुंचा। उसने अपनी बाइक कुछ दूरी पर खड़ी की और घर में घुसा। सुनील और पूनम उस वक्त घर पर थे, और उनकी दोनों बेटियां भी वहीं खेल रही थीं।
चंदन ने पहले बच्चों को पैसे दिए और फिर सुनील और पूनम से बहस शुरू की। अचानक, उसने अपनी पिस्टल निकाली और घर के सभी लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। सुनील और पूनम को कई गोलियां मारी गईं, जबकि बच्चों को भी नहीं बख्शा गया।
गांव में शोर के बीच हुई हत्याएं
घटना के वक्त गांव में देवी जागरण का आयोजन चल रहा था, जिसकी वजह से चारों तरफ शोर हो रहा था। इसी शोर का फायदा उठाते हुए चंदन ने सोचा कि गोलियों की आवाज़ बाहर तक नहीं जाएगी।
हत्या के बाद चंदन ने अपने खाली खोखे और मैगजीन वहीं छोड़ दी और फरार हो गया। पुलिस ने तुरंत इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया, लेकिन चंदन का कोई पता नहीं चला।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने घटना स्थल पर मौजूद सभी सुरागों को इकट्ठा किया और फॉरेंसिक टीम ने भी जांच की। जांच के आधार पर यह साफ हो गया कि हत्यारा कोई करीबी व्यक्ति ही था, क्योंकि घर में जबरदस्ती घुसने के कोई निशान नहीं थे। पुलिस ने जल्द ही चंदन वर्मा को मुख्य आरोपी के रूप में चिन्हित किया और उसकी तलाश शुरू कर दी।
राजनीति ने भी ली एंट्री
जैसे-जैसे यह मामला मीडिया में उछला, राजनीतिक पार्टियों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दीं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस हत्याकांड की कड़ी आलोचना की और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने का वादा किया।
परिवार की दुखद कहानी
सुनील और पूनम के परिवार का यह कहना था कि यदि पुलिस ने समय पर कार्रवाई की होती, तो आज उनका परिवार जिंदा होता। सुनील के पिता ने मीडिया से बातचीत करते हुए यह भी कहा कि उनका बेटा सरकारी मुलाजिम था और उन्हें उम्मीद है कि सरकार उन्हें न्याय दिलाएगी।
निष्कर्ष
अमेठी हत्याकांड एक ऐसी दुखद घटना है जिसने पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है। एक परिवार की बर्बादी का कारण बनी यह घटना पुलिस की लापरवाही का परिणाम थी या चंदन वर्मा की बर्बरता का,
यह तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगा। लेकिन एक बात निश्चित है कि इस हत्याकांड ने समाज में एक गहरी चोट पहुंचाई है, जिसे भरने में काफी समय लगेगा।
क्या पुलिस समय रहते कार्रवाई करती तो क्या बच सकता था यह परिवार? अपनी राय मुझे कमेंट करें|